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जिन्दगी
कोई कहता जंग तो कोई कहता जुआ है;
भला जिन्दगी को क्या कोई समझ पाया है|
कभी आखोंमैं आंशु तो कभी ओठोंपे हंसी है;
धुप छाओंकी ये जिन्दगी उमीदोंपे बसी है|
हराके मुश्किलों को दर्दोंको जीता है;
छोड़ आया पीछे समय जो बिता है|
हर पलमैं बुना एक नया सपना है;
खुसी है सब केलिए दुःखतो अपना है|
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